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क्या निप्पल स्टिम्युलेशन से प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है?

Pregnancy

Prasoon Pankaj

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4 months ago

क्या निप्पल स्टिम्युलेशन से प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है?

गर्भावस्था के अंतिम हफ्तों में लेबर का इंतजार कई महिलाओं के लिए बेचैनी और उत्सुकता भरा हो सकता है। ड्यू डेट पास होने के बावजूद जब प्रसव के कोई स्पष्ट संकेत न दिखें, तो कुछ महिलाएं लेबर शुरू करने के प्राकृतिक तरीकों के बारे में सोचने लगती हैं। इन्हीं तरीकों में एक नाम सामने आता है — निप्पल स्टिम्युलेशन।

यह एक घरेलू और बिना दवा का तरीका है, लेकिन इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक आधार भी है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह तकनीक कैसे काम करती है, इसके फायदे और जोखिम क्या हैं, और किन स्थितियों में इसे अपनाना उचित है।

निप्पल स्टिम्युलेशन क्या होता है?

निप्पल स्टिम्युलेशन का मतलब है — स्तनों के निप्पल और आसपास के एरिओला हिस्से को हल्के तरीके से सहलाना, मसलना या धीरे-धीरे रगड़ना। इसका उद्देश्य होता है शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन को प्राकृतिक रूप से रिलीज़ करना।

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ऑक्सीटोसिन वही हार्मोन है जो प्रसव के समय गर्भाशय में संकुचन लाने और ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। मेडिकल इंडक्शन के दौरान इसी हार्मोन को कृत्रिम रूप से “पिटोसिन” नाम से दिया जाता है।

यह तरीका कैसे काम करता है?

जब निप्पल को स्टिम्युलेट किया जाता है, तो शरीर को यह संकेत मिलता है जैसे ब्रेस्टफीडिंग शुरू हो गई है। इसके परिणामस्वरूप ऑक्सीटोसिन निकलता है, जो गर्भाशय को संकुचन के लिए प्रेरित कर सकता है। अगर गर्भाशय पहले से लेबर के लिए तैयार हो, तो यह प्रक्रिया लेबर को ट्रिगर कर सकती है।

क्या यह प्रभावी तरीका है?

कई शोध और अनुभव बताते हैं कि यह तरीका कुछ महिलाओं के लिए कारगर हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक स्टडी में यह पाया गया कि निप्पल स्टिम्युलेशन करने वाली महिलाओं में 72 घंटों के भीतर लेबर शुरू हो गया, जबकि जिन महिलाओं ने यह तरीका नहीं अपनाया, उनके लेबर में अधिक समय लगा।

हालांकि, यह असर हर महिला में नहीं देखा जाता। इसका प्रभाव शरीर की तैयारी, बच्चे की स्थिति और अन्य जैविक कारकों पर निर्भर करता है।

संभावित फायदे

  • प्राकृतिक तरीका: बिना किसी दवा या चिकित्सा हस्तक्षेप के लेबर शुरू करने की संभावना।

  • ऑक्सीटोसिन का नियंत्रित रिलीज़: शरीर अपने स्तर पर हार्मोन नियंत्रित करता है, जिससे संकुचन ज्यादा संतुलित हो सकते हैं।

  • घरेलू और आसान: इसे घर पर आराम से, बिना किसी विशेष उपकरण के किया जा सकता है।

संभावित जोखिम

  • बहुत तेज़ संकुचन (Hyperstimulation): कभी-कभी गर्भाशय में बहुत बार और तेज संकुचन हो सकते हैं, जिससे शिशु को ऑक्सीजन कम मिलने का खतरा हो सकता है।

  • झूठे संकुचन: यह भी संभव है कि संकुचन शुरू तो हों लेकिन वे प्रोडक्टिव न हों, जिससे भ्रम और थकान हो सकती है।

  • समय से पहले प्रसव: अगर यह तकनीक 37 सप्ताह से पहले अपनाई जाए, तो प्रीमैच्योर लेबर की आशंका हो सकती है।

कब करना सुरक्षित होता है?

  • जब गर्भावस्था 37 हफ्तों से ज़्यादा की हो चुकी हो (फुल टर्म)।

  • डॉक्टर द्वारा आपकी गर्भावस्था को लो-रिस्क माना गया हो।

  • बच्चा सिर के बल नीचे हो और गर्भाशय लेबर के लिए तैयार हो।

  • कोई मेडिकल कॉम्प्लिकेशन न हो जैसे हाई ब्लड प्रेशर, प्रीक्लेम्पसिया, या ब्लीडिंग।

कब नहीं करना चाहिए?

  • अगर डॉक्टर ने चेतावनी दी हो कि आपकी प्रेग्नेंसी हाई रिस्क में है।

  • अगर प्लेसेंटा लो-लाइंग है या प्लेसेंटा प्रिविया की स्थिति हो।

  • अगर पहले C-section हुआ हो और गर्भाशय पर ज़ोर देना खतरे का कारण बन सकता हो।

  • अगर बच्चा ब्रीच पोजीशन (पैर या पिछला हिस्सा पहले) में हो।

  • अगर आपको जुड़वा या एक से अधिक बच्चे की प्रेग्नेंसी है।

कैसे करें निप्पल स्टिम्युलेशन (सावधानीपूर्वक)?

  1. एक समय में एक ही निप्पल पर काम करें।

  2. हल्के हाथों से उंगलियों से या नरम कपड़े से 5 मिनट तक सहलाएं।

  3. फिर 15-20 मिनट का ब्रेक लें।

  4. इस प्रक्रिया को दिन में 3 बार से अधिक न दोहराएं।

  5. जैसे ही नियमित और मजबूत संकुचन महसूस हों, प्रक्रिया रोक दें।

यदि ब्रेस्ट पंप का उपयोग कर रही हैं, तो सबसे हल्का मोड चुनें और समय का विशेष ध्यान रखें।

क्या यह तरीका सभी के लिए सही है?

हर महिला की गर्भावस्था अलग होती है, और शरीर का रिस्पॉन्स भी अलग होता है। निप्पल स्टिम्युलेशन कुछ के लिए उपयोगी हो सकता है, जबकि अन्य के लिए यह बेअसर या जोखिमपूर्ण हो सकता है।

इसलिए यह जरूरी है कि इसे शुरू करने से पहले डॉक्टर से चर्चा करें। केवल इंटरनेट या सलाह से इसे अपनाना उचित नहीं है।

निप्पल स्टिम्युलेशन एक प्राकृतिक, बिना दवा का तरीका है जिससे लेबर की शुरुआत संभव हो सकती है। हालांकि, यह एक हल्की प्रक्रिया नहीं है — इसमें सावधानी और चिकित्सा सलाह अनिवार्य है।

यदि शरीर लेबर के लिए तैयार हो और कोई जोखिम न हो, तो यह तरीका उपयोगी हो सकता है। लेकिन किसी भी स्थिति में डॉक्टर की सहमति लेना सबसे अहम है।

लेबर एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, और शरीर अपने समय पर इसके लिए तैयार होता है। धैर्य, जानकारी और डॉक्टर के साथ तालमेल — यही इस सफर को सुरक्षित और सुंदर बना सकते हैं।

 

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