कैसे सुधारें बच्चे की लिखावट (Hand Writing)?

संजना एक 7 साल की बेटी की माँ हैं और अपनी बेटी के साथ पढ़ने वाले बच्चों की माताओं के साथ व्हाट्सएप के जरिये जुड़ी हैं। संजना के घर पर एक मेल-जोल कार्यक्रम के दौरान सभी माताओं ने काॅफी पीते हुये जिस बात को सबसे ज्यादा साझा किया वो है बच्चे की लिखावटः संजना ने बताया कि ‘मेरी बेटी पूरी कोशिश करती हैं पर इसके बावजूद भी उसकी लिखावट वाकई में खराब है।’ 8 साल के बच्चे की माँ सुनयना ने बताया ‘मैं अपने बेटे की लिखावट नहीं पढ़ सकती’ और एक अन्य माँ इस बात से परेशान थीं कि उनके 6 साल के बेटे को अभी भी पेंसिल को ठीक से पकड़ने में मुश्किल होती है।
खैर, उन सभी ने इसके लिये काफी मेहनत की है जिससे उनके बच्चे अक्षरों और शब्दों को पहचानकर उन्हे ठीक से लिख सकें!! अच्छी लिखावट उस समय और जरूरी हो जाती है जब यह बच्चे की पढ़ाई के नतीजों पर असर करने लगती है और इसी वजह से माता-पिता के लिये यह जरूरी हो जाता है कि वे बच्चे की लिखावट में सुधार के लिये दखल दें, पर परेशानी यह है कि ज्यादातर बच्चे शुरूआत के पहले ही लिखने से हिचकने लगते हैं। लेकिन, अगर आप कुछ तरीके अपनाकर इसे बच्चे के लिये मजेदार बना दें तो बड़ी आसानी से कम से कम मेहनत करके आप अच्छे नतीजे पा लेंगी।
कैसे सुधारें बच्चे की हैंड राइटिंग (लिखावट)?/Ways to Improve Child's Hand Writing in Hindi
तो अपने बच्चे की लिखावट सुधारने की मुश्किल को कम करने और उसकी लिखावट दूसरे माता-पिता को दिखाकर उनका हौसला बढ़ाने के लिये यहाँ 6 तरीके हैं!!!
#1. बच्चे को ठीक से पेंसिल पकड़ना सिखायें
पेंसिल पकड़ने का सबसे असरदार तरीका होता है पहली तीन उंगलियों, अंगूठे और इसके साथ वाली दूसरी और तीसरी उंगलियों से पकड़ना जिसमें पेंसिल बीच वाली या तीसरी उंगली के सहारे रखी होती है। ऐसे पेंसिल पकड़ना सिखाने के बहुत से तरीके हैं जैसे बबल्-रैप को फोड़ना, छोटी वस्तुओं जैसे क्रेयोंस, छोटी पेंसिल, टूटी हुई चाक से लिखना, अपनी उंगलियों को रंग में डुबोकर पेंटिग करना, छोटी चिमटी से मोती चुनकर एक कटोरे से दूसरे कटोरे में डालना, कागज को तोड़-मोड़ कर गेंद बनाना, किसी खड़ी सतह जैसे कैनवास या चाकबोर्ड पर लिखना। इसे करने से कंधे और हाथों में मजबूती और ताकत आती है।
#2. बच्चे को अलग-अलग बनावट में लिखने का अभ्यास करायें
टेबल पर फैली हुयी सेविंग क्रीम, धुंधला आईना, धूल की परत और प्लेट में बचा हुआ टमाटर साॅस लिखने के लिये एक अच्छी सतह बनाते हैं। बच्चे को रेत, चिकनी मिट्टी या आटे की लोई से नये प्रयोग करने दें और उनके तरह-तरह के मोटर-गाड़ी या कोई और आकार बनाने की खूबी को निखरने दें। ऐसा करना, लिखना सीखने को मजेदार बनाता है और ज्यादा मेहनत किये बिना बच्चे से लिखने के डर को आराम से बाहर निकाल देगा।
#3. बच्चे को लिखने का माहौल दें
बच्चे को ऐसा माहौल देने के लिये उसे सही ऊंचाई की एक टेबल-कुर्सी देनी चाहिये- यह बच्चे को ठीक से बैठने के साथ-साथ उसकी लिखावट में सुधार के लिये जरूरी है। लिखते समय अपने हाथों को आराम से टेबल पर रख कर, शरीर को सही स्थिति मे बनाये रखना बहुत जरूरी होता है।
#4. बच्चे को सिखाने के लिये लाइन वाला पेपर दें
बच्चे को इंग्लिश में लिखने के लिये चार लाइन वाली और हिंदी में लिखने के लिये पांच लाइन वाली पुस्तक दें। यह लाइनदार पुस्तकें बच्चे को एक जैसे और सही आकार में लिखने में मदद करती हैं और लाइन पर लिखने की वजह से ऊपर या नीचे लिखने के बजाय वे एकदम सीधा लिख पाते हैं
#5. धीरे पर लगातार सीखने से मुश्किल हल होती है
धीरे-धीरे लिखने से बच्चे का अपने शरीर और मन पर काबू रहता है। इससे उसे सोचने और फिर इसे पेपर पर लिखने, दोनों की गति एकसमान करने में मदद मिलती है जिससे लिखने में कम गल्तियां होती हैं, तो इस तरीके में तेजी लाने की कोशिश न करें। बच्चे को थोड़ा समय और जगह दें जिससे वह बेहतर कर सके, उसकी लिखावट की जांच करें और हर रोज थोड़ा-थोड़ा सीखने के लिये उसका हौसला बढ़ायें।
#6. काम के छोट-छोटे हिस्से करना
एक साथ बहुत ज्यादा लिखना थकान के साथ-साथ निराशा की वजह भी बन सकता है। बच्चा बार-बार लिखता-मिटाता है जिससे गल्तियां होती है। अगर छोटे-छोटे कदम बढ़ाये जायें तो इस सब से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि एक पेज लिखना ज्यादा लगे तो उसे आधा पेज ही लिखने दें। इस तरीके को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट कर लचीला बनायें जिससे बच्चा इसका आनंद उठा सके और जो समय आप उसकी लिखावट को सुधारनें में लगाती है, उस दौरान वह डरे नहीं बल्कि अपनी मर्जी से इसे करे।
याद रखिये अच्छी लिखावट, पढ़ाई में होशियार होने या अपना होमवर्क करने से कहीं ज्यादा है। बच्चे की अच्छी लिखावट उसके लिये सालों-साल और जीवनभर की खूबी होती है इसलिये सुस्ती छोड़ें और अपने बच्चे को उसके दोस्त को जन्मदिन की बधाई के देने लिये एक लाइन का संदेश लिखने या उसकी डांस क्लासेस् के बारे में या किसी खेल प्रतियोगिता या जो कुछ भी उसे पंसद हो के बारे लिखने के लिये बोल कर उसका हौसला बढ़ाने की कोशिश करें। लिखने के अभ्यास को बच्चे की पंसदीदा चीजों से जोड़ना चमत्कारी होता है। एक डायरी बनाना और उसमें रोज एक पेज लिखना अपनी सोच-समझ को जाहिर करने का एक अच्छा तरीका होता है और इसके साथ-साथ उसका अभ्यास भी चलता रहता है। आप उन्हें अपने पसंदीदा कामों की लिस्ट बनाने (यह उन्हें ज्यादा व्यवस्थित करने में मदद करती है) या एक डायरी जिसमें वे अपनी पसंदीदा कवितायें और कहावतें लिख कर रख सकें, बनाने के लिये सलाह दे सकती हैं।
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