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क्या है जन्म दोष के कारण व इससे बचने के उपाय ?

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Prasoon Pankaj

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2 months ago

क्या है जन्म दोष के कारण व इससे बचने के उपाय ?

खराब लाइफस्टाइल व लापरवाही की वजह से मौजूदा समय में बच्चों में जन्म दोष के मामले बढ़ रहे हैं। जन्म दोष एक ऐसी समस्या है, जो देखी तो बच्चे के जन्म के समय में जाती है, लेकिन यह उत्पन्न तभी हो जाती है, जब शिशु मां के पेट में रहता है। कुछ समय पहले इंडियन जनरल की ह्यूमन जेनेटिक्स पर छपी रिसर्च के अनुसार भारत में एक हजार जन्मे बच्चों पर जन्म दोष वाले 61 से 69 होते हैं। जन्म दोष के मामले में भारत पूरी दुनिया में पहले स्थान पर है।  जन्म दोष की अधिकतर समस्या गर्भावस्था के पहले तीन महीनों (जब बच्चे के अंग धीरे-धीरे बन रहे होते हैं) में होती है, लेकिन कुछ केस में यह गर्भावस्था के आखिरी 6 महीने में भी हो सकता है। यह दोष मामूली या गंभीर दोनों ही तरह के हो सकते हैं। जन्म दोष शरीर व गतिविधियों दोनों को भी प्रभावित कर सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है जन्म दोष, क्या हैं इसके होने के कारण व इससे बचने के उपाय क्या-क्या हैं।

क्या है जन्म दोष ? / What Is Birth Defects In Hindi

गर्भ में रहने के दौरान शिशु के साथ कुछ ऐसी असमानताएं हो सकती हैं, जो संरचनात्मक और अनुवांशिक हो। इसी को जन्म दोष व बर्थ डीफेक्ट या कोंजेनिटल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। जन्म दोष किसी भी तरह का हो सकता है, जैसे – अंग समोरह, अंगों का विकसित न होना, होठों या नाक आदि का सही से विकसित न होना या फिर दिमागी विकास रुक जाना। मुख्य रूप से जन्म दोष 2 प्रकार के होते हैं। पहला संरचनात्मक जन्म दोष व दूसरा कार्यात्मक जन्म दोष। आइए इसको विस्तार से समझें

  1. संरचनात्मक जन्म दोष – शिशु में संरचनात्मक जन्म दोष उसे कहते हैं, जब शरीर का एक खास हिस्सा गायब या गलत हो। जैसे हृदय दोष, फटे होंठ, तालु, स्पाइना बिफिडा (जब रीढ़ की हड्डी ठीक से विकसित नहीं होती, क्लब्फूट (जिसमें जन्मजात दोष और बुरे होते हैं।
     
  2. कार्यात्मक जन्म दोष – कार्यात्मक या विकासात्मक जन्म दोष उसे कहते हैं, जिसमें शरीर का हिस्सा या सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है। यह अक्सर विकास अक्षमता का कारण होता है। कार्यात्मक जन्म दोष में चयापचय संबंधित दोष, संवेदी समस्याएं व तंत्रिका तंत्र की समस्याएं शामिल होती हैं। चयापचय दोष बच्चों के शरीर के रसायन शास्त्र के साथ समस्याएं पैदा करते हैं। कार्यात्मक जन्म दोष के कई प्रकार हैं। इनमें से कुछ ये हैं-

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  • प्रतिरक्षा विकार - इसमें कैंसर, एलर्जी और ऑटोम्यून्यून रोग (जिसमें आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती हैं) होने की आशंका रहती है।
     
  • डिजेनेरेटिव डिसऑर्डर - इस स्थिति में बच्चा सामान्य रूप से बढ़ता है, लेकिन उसे काम करने में समस्या होती है। इसके तहत रीट सिंड्रोम (मस्तिष्क के ग्रे क्षेत्र की दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल प्रसवोत्तर स्थिति) और मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (निरंतर मांसपेशी कमजोर) जैसी समस्या आती है।
     
  • सेंसरी डिसऑर्डर - सेंसरी डिसऑर्डर से अंधापन, सुनने में दिक्कत व अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
     
  • स्पेक्ट्रम विकार - इसके होने पर बच्चे के मस्तिष्क के उचित कामकाज में समस्या, तंत्रिका तंत्र बौद्धिक हानि, ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर, बोलने व सुनने में विकलांगता जैसी समस्याएं होती हैं।
     
  • डाउन सिंड्रोम - इसकी वजह से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास देरी से होता है।
     
  • सिस्टम फाइब्रोसिस - इसमें बच्चों के फेफड़ों और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है।

 

क्या हैं जन्म दोष के कारण? / Birth Defects Causes in Hindi

जन्म दोष के कई कारण हैं। जन्म दोष के 35-40 प्रतिशत मामलों के पीछे आनुवांशिक, पार्य़ावरण या मां की ओर से की गई लापरवाही बड़ी वजह होती है। कई रिसर्चों में इसके पीछे के जो कारण निकल कर आए हैं, वो इस प्रकार हैं।

  1. धूम्रपान – अगर गर्भावस्था के दौरान गर्भवती धूम्रपान यानी शराब, सिगरेट, तंबाकू व अन्य ड्रग्स का सेवन करती है, तो इससे बच्चे को जन्मदोष हो सकता है।
     
  2. नुकसान पहुंचाने वाली दवाइयां – कई ऐसी दवाइयां होती हैं, जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान लेने से बच्चे में जन्म दोष का खतरा रहता है। इन्हीं में से एक है मुहांसों को खत्म करने के लिए ली जाने वाली दवाई।
     
  3. आनुवांशिक असमानता – जन्म दोष का यह भी एक बड़ा कारण होता है। इसमें शरीर का कोई एक अंग या भाग गायब होता है। कई केस में एक या एक से ज्यादा अंग ठीक से काम नहीं करते हैं। यह दोष माता-पिता में से किसी एक के होने के कारण आगे पूरे परिवार में भी फैलता है।
     
  4. खराब वातावरण – रिसर्च में यह सामने आया है कि जन्म दोष का एक बड़ा कारण खराब वातावरण यानी प्रदूषण भी है। अगर गर्भवती ऐसी जगह रहती है जहां फैक्ट्री, कारखाने, अधिक प्रदूषण, मेटल क्लीनिंग, रेडिएशन आदि वाली चीजें हैं तो इससे भी जन्म दोष का खतरा रहता है।
     
  5. केमिकल्स - गर्भावस्था के दौरान गर्भवती का कीटनाशकों, केमिकल्स, हेवी मेटल, लीड व अन्य जहरीले पदार्थों के संपर्क में आने से भी बच्चा जन्म दोष का शिकार हो सकता है।
     
  6. मां को इन्फेक्शन – रिसर्च के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान यदि मां को चेचक, चिकन पॉक्स, रूबेला व टॉक्सोप्लास्मोसिस जैसे इन्फेक्शन हों तो यह बच्चे के लिए जन्म दोष का कारण बन सकते हैं।
     
  7. मां के बीमार होने पर – डॉक्टरों व रिसर्च की मानें तो मां की बीमारी भी जन्म दोष की एक बड़ी वजह होती है। अगर मां को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह, मोटापा व अन्य बीमारियां हैं, तो इससे पेट में पल रहे बच्चे में जन्म दोष आ सकता है।
     
  8. अधिक उम्र में मां बनना – कई मामलों में ऐसा भी देखने को मिला है कि अधिक उम्र में गर्भधारण करना भी बच्चे के जन्म दोष का कारण बना है।

 

जन्म दोष से बचने के 6 उपाय / 6 Ways To Prevent Birth Defects In Hindi

डॉक्टरों के अनुसार, अगर गर्भावस्था के शुरुआती चरण से लेकर अंतिम चरण तक मां कुछ सावधानी बरते तो जन्म दोष से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही उपाय।

  1. गर्भधारण से पहले डॉक्टर को दिखाएं – अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जन्म दोष से दूर रहे तो गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर से चेकअप कराएं कि कहीं आपको डायबिटीज, मोटापा व अन्य बीमारी तो नहीं है। अगर कोई बीमारी है, तो बच्चे पर उसका असर पड़ेगा या नहीं।
     
  2. जन्म से पहले जन्म दोष को पहचानें – बच्चे के जन्म से पहले अल्ट्रा साउंड कराके आप यह पता लगा सकती हैं कि कहीं बच्चे को कोई जन्म दोष तो नहीं। अगर टेस्ट में कोई दोष कन्फर्म हो तो रक्त परीक्षण और एमिनोसेटिस जैसे अधिक गहन स्कैनिंग विकल्प का भी सहारा ले सकते हैं। इससे बच्चा जन्म दोष से बच सकता है।
     
  3. यौन संचारित रोग का टेस्ट कराएं – अगर बच्चे को जन्म दोष से बचाना चाहते हैं तो ये भी जरूरी है कि आप यौन संचारित रोग का टेस्ट कराएं। जरूरी हो तो टीकाकरण भी करवाएं।
     
  4. जन्म दोष होने पर डॉक्टर को दिखाएं – अगर आपका बच्चा किसी जन्म दोष के साथ जन्म ले चुका है, तो उस समस्या से जुड़े स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाएं। कई दिक्कतें ऐसी होती हैं, जो शुरुआती स्तर पर खत्म की जा सकती हैं।
     
  5. सर्जरी – कुछ शारीरिक जन्म दोष ऐसे होते हैं, जिन्हें सर्जरी के माध्यम से दूर किया जा सकता है। जैसे कि कटे होंठ, कान व अन्य अंग।
     
  6. विटामिन युक्त आहार – बच्चे को जन्म दोष से बचाने के लिए यह भी बेहतर उपाय है। आप गर्भावस्था के दौरान रोजाना पर्याप्त मात्रा में विटामिन का सेवन करें।

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