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बच्चों को जरूर बताएं कि हम क्रिसमस ट्री क्यों सजाते हैं ?

क्रिसमस का मौसम आते ही आप जहां जाते हैं वहां पर आपको एक चीज जरूर नजर आती है। फिर आप किसी शॉपिंग मॉल में जाएं या फिर किसी रेस्तरां में। दफ्तर में भी और हां आपके घर में भी ये चीज क्रिसमस के मौके पर जरूर मौजूद होती है। अब तक तो आप समझ गए होंगे की हम क्रिसमस ट्री के बारे में ही बात कर रहे हैं। आपके बच्चे भी क्रिसमस ट्री को अच्छे से सजाने को लेकर काफी उत्साहित नजर आते होंगे, लेकिन क्या आपका बच्चा आपसे इस तरह के सवाल नहीं पूछते हैं कि मम्मा, हम लोग हर साल क्रिसमस ट्री को क्यों सजाते हैं या फिर इसके पीछे क्या कहानी है? निश्चित रूप से आपके बच्चे क्रिसमस और क्रिसमस ट्री से संबंधित अनेक तरह के सवाल पूछते होंगे तो आइये आज हम इस ब्लॉग में आपको क्रिसमस ट्री को सजाए जाने की परंपरा और इस त्योहार से संबंधित कई रोचक बातों के बारे में जानकारी देते हैं।
क्या हैं क्रिसमस ट्री से जुड़ी कहानियां ? The History of Christmas Trees In Hindi
यूं तो क्रिसमस ट्री से अनेक तरह की कहानियां जुड़ी हुई हैं लेकिन मुख्य रूप से तीन कहानियां बहुत प्रचलित हैं।
- मान्यताओं के मुताबिक इंग्लैंड को छोड़कर संत बोनिफेस जर्मनी चले गए। जर्मनी में संत बोनिफेस ने देखा कि अंधविश्वास के चलते कुछ लोग ओक के पेड़ के नीचे बलि देते थे। इसके बाद संत बोनिफेस ने उस पेड़ को ही कटवा दिया और उसके स्थान पर फर का नया पौधा लगवाया। इस पौधे को संत ने प्रभु ईसा मसीह के जन्म का प्रतीक माना। इसके बाद से उस पौधे को कैंडल से सजाया गया गया। इसके बाद से ही क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा प्रचलित हो गई।
- एक दूसरी कथा के मुताबिक क्रिसमस से एक दिन पहले एक छोटा बच्चा घूमते-घूमते खो जाता है। कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। आसरे की तलाश में उसने एक झोपड़ी का दरवाजा खटखटाया। दरअसल इस झोपड़ी में एक गरीब लकड़हारा अपने परिवार के साथ रहता था। लकड़हारे और उसकी पत्नी ने बच्चे को झोपड़ी के अंदर बुलाया और फिर उसको खाना खिलाकर सुला दिया। मान्यताओं के मुताबिक क्रिसमस की सुबह लकड़हारे और उसके परिवार ने देखा कि यही बच्चा यीशु मसीह के रूप में बदल गए हैं। यीशु बाहर जाते हैं और फर के पेड़ से एक टहनी तोड़कर उस परिवार को शुक्रिया कहते हैं। बताया जाता है कि इसके बाद से ही क्रिसमस ट्री के पौधे को सजाने की परंपरा की शुरूआत हुई।
- क्रिसमस ट्री के मौजूदा स्वरूप में लाने का श्रेय मूल रूप से जर्मनी को जाता है। जर्मनी के मार्टिन लूथर क्रिसमस की पूर्व संध्या पर घूम रहे थे और आकाश मे तारों को देख रहे थे। चारों तरफ से घिरे फर के पेड़ों के बीच से ये तारें बेहद खूबसूरत नजर आ रहे थे। इसके बाद घर वापस लौटते समय उन्होंने फर के पेड़ की एक डाली को भी साथ लेकर चले आए। इसके बाद उन्होंने ये बात अपने परिवार के लोगों को बताई कि तारों ने उन्हें यीशु मसीह का स्मरण करा दिया। मार्टिन लूथर के घर के लोगों ने मिलकर फर की उस डाली को मोमबत्तियों से सजाया। घरों के अंदर क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा की शुरूआत मार्टिन लूथर के द्वारा ही मानी जाती है।
- एक नाटक का मंचन करने के दौरान पहली बार ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का इस्तेमाल किया गया और इस पर सेब लटकाए गए। नाटक में इस पौधे को स्वर्ग का वृक्ष के प्रतीक के रूप में दिखाया गया। जिसके बाद से जर्मनी में 24 दिसंबर को फर के पौधे को घरों में सजाया जाने लगा। साल 1605 में जर्मनी में पहली बार क्रिसमस ट्री को रंगीन कागजों, लकड़ी के छोटे टुकड़ों, सेब, और मोमबत्तियों और सितारों से सजाया गया। बताया जाता है कि जिस रात यीशु मसीह का जन्म हुआ था उस समय में जंगल के सारे पेड़ पेड़ पौधे रोशनी से जगमग हो गए और तमाम वृक्ष फलों से लद गए। यही वजह है कि क्रिसमस के ट्री को बल्ब, सितारों और फलों से सजाया जाता है।
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अमेरिका में क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा की शुरुआत आजादी की लड़ाई के दौरान हुई और इसका श्रेय हैसेन ट्रप्स को जाता है। इंग्लैंड में क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत साल 1830 मानी जाती है। अब कैंडल्स की बजाय बिजली के बल्बों से क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है और इसके पीछे एक हादसा बताया जाता है। साल 1885 में अमेरिका के शिकागो में एक अस्पताल में क्रिसमस ट्री में लगे मोमबत्तियों की वजह से भीषण आग लग गई। इसके बाद से क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए बिजली के बल्बों का इस्तेमाल किया जाने लगा है।
क्रिसमस ट्री सजाने के तरीके / How to Decorate a Christmas Tree In Hindi
ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री को सजाने से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। पर्यावरण की सुरक्षा को देखते हुए अब फर के पौधों की बजाय कृत्रिम क्रिसमस ट्री भी बाजार में आने लगे हैं।
- लाइटनिंग- क्रिसमस ट्री को खूबसूरत दिखने में लाइट्स का बड़ा योगदान होता है। आप चाहे तो रंग बिरंगे लाइट्स से क्रिसमस ट्री को सजा सकते हैं लेकिन इसके साथ ही आपको सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। चूंकि क्रिसमस ट्री के पास बच्चे भी जाते हैं और आकर्षक दिख रहे लाइट्स को बच्चे छू भी सकते हैं तो एहतियात जरूर बरतें। अगर संभव हो सके तो बैटरी से चार्ज किए गए लाइट्स का उपयोग करें।
- क्रिसमस ट्री को आभूषणों से भी सजाया जाता है। बाजार में एक से बढ़कर एक आर्टिफिशियल गहने उपलब्ध होते हैं। आप अपने बजट के मुताबिक इनको खरीदकर सजावट कर सकते हैं।
- गिफ्ट्स- बच्चों को सबसे अधिक गिफ्ट्स लुभाते हैं। आप क्रिसमस ट्री को गिफ्ट्स से भी सजाएं। ऐसा करने से आपके बच्चे अत्यधिक प्रसन्न होंगे।
- रूई से भी आप क्रिसमस ट्री को सजा सकते हैं। आप चाहे तो रूई को बर्फ का आकार या पर्वत बनाकर क्रिसमस ट्री के पास सजावट कर सकते हैं।
- ईसा मसीह और मदर मेरी की मूर्ति को भी क्रिसमस ट्री के पास रखना चाहिए। इसके अलावा परंपरा से जुड़े अन्य सामान भी जरूर रखें।
- आप प्रयास ये करें कि क्रिसमस ट्री को खुद से ही सजाएं और इस काम में अपने परिवार एवं बच्चों को भी जरूर शामिल करें।
प्रत्येक साल 25 दिसंबर को क्रिसमस यानि बड़ा दिन का त्योहार मनाया जाता है। क्रिसमस अपने साथ ढेर सारी खुशियां लाता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपके घरों में भी इस साल क्रिसमस के त्योहार के अवसर पर खुशियां दस्तक
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