मटकामैन अंकल की कहानी अपने बच्चों को जरूर बताएं

Prasoon Pankaj के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Feb 16, 2021

आपके बच्चे को रील लाइफ के हीरो से ज्यादा रीयल लाइफ के हीरो से प्रेरणा मिल सकेगी। हरेक माता-पिता की तरह आप भी चाहते होंगे की आपका बच्चा एक नेक इंसान बने। इस भीषण गर्मी में आप जब कभी अपने घर से बाहर निकलते होंगे तो अपने साथ में पानी की एक बोतल जरूर रख लेते होंगे। लेकिन कई बार आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि बोतल का पानी समाप्त हो गया होगा या घर से बोलत साथ में लाना भूल गए होंगे। ऐसे समय में जब जोर से प्यास लग जाए तो आप यही सोचते होंगे कि काश कहीं कोई पानी का मटका मिल जाता तो प्यास बुझा लेता। आज हम आपको दिल्ली के एक ऐसे बुजुर्ग के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रतिदिन सैकड़ों मटकों में स्वच्छ जल भरते हैं ताकि राहगीरों की प्यास बुझ सके। पूरी दिल्ली अब इनको मटकामैन के नाम से जानती है। ये ब्लॉग आपके लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मटकामैन की इस कहानी को आप अपने बच्चे को जरूर बताएं ताकि उसके अंदर भी नेक काम करने की प्रेरणा प्रबल हो सके और वो पानी का महत्व समझ सके।
प्रतिदिन सुबह 4.30 बजे उठकर अपनी ड्यूटी में लग जाते हैं 68 साल के बुजुर्ग अलग नटराजन। दिल्ली के पंचशील पार्क में रहने वाले अलग नटराजन अपनी वैन में सवार होकर अलग-अलग जगहों पर रखे मिट्टी के मटकों में पानी भरते हैं। मटके का इंतजाम भी उन्होंने खुद किया है। इस काम के लिए अलग नटराजन ने एक खास किस्म का वैन बनवाया है। इन मटकों पर मोबाइल नंबर भी लिखे होते हैं ताकि अगर मटके का पानी खत्म हो गया है तो आप इनको कॉल कर दें और फिर ये इनकी टीम के सदस्य आकर इसमें पानी भर देते हैं।
अलग नटराजन को इस काम के लिए कैसे मिली प्रेरणा/ How to get inspiration for this work
अलग नटराजन के जीवन में अचानक इस तरह के मोड़ आया कि उनके जीवन में सबकुछ बदल गया। नटराजन के जीवन और उनकी सकारात्मक सोच से हम सबको प्रेरणा मिल सकती है।
- लंदन में इंजीनियर रह चुके हैं अलग नटराजन
- लंदन में रहने के दौरान नटराजन को मलाशय में कैंसर होने के बारे में जानकारी मिली
- इसके बाद वो वापस भारत लौट आए
- इलाज के बाद उनका कैंसर ठीक हो गया
- इसके बाद उनके मन में सामाजिक कार्यों को करने की प्रेरणा जगी
- गरीब मरीजों के लिए भोजन का किया इंतजाम
- कैंसर अस्पताल में स्वेच्छा से काम किया
- फिर उन्होंने प्यासे लोगों को पानी पिलाने के बारे में सोचा
- उसके बाद उन्होंने कई जगहों पर पानी का मटका रखवाया
अलग नटराजन ने मटका तो रख दिया लेकिन इसके बाद सबसे बड़ी समस्या ये थी कि आखिर इन मटकों में रोज पानी कौन भरेगा। इसके बाद इन्होंने तय किया कि इस काम को वे खुद करेंगे। एक विशेष किस्म की वैन बनवाया और इसी वैन पर सवार होकर प्रतिदिन सुबह 4.30 बजे से वो इस काम में जुट जाते हैं। नटराजन बताते हैं कि ये पानी 3 बोरवेल से आता है और बोरवेल के मालिक इस नेक काम में उनकी मदद करते हैं। अलग नटराजन लोगों से अपील करते हैं कि वे अपने घरों के आगे भी पीने का मटका जरूर रखें ताकि इस गर्मी में कोई प्यासा ना रहे। इस काम के प्रति उनकी निष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए की वो प्रतिदिन 4 बार मटका स्टैंड का खुद चक्कर लगाते हैं कि कोई मटका खाली ना रहे। अगर आप इस नेक काम में उनकी मदद करना चाहते हैं तो उनके वेबसाइट www.matkaman.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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