प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर होन ...
प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर होने पर इन 5 बातों का जरूर ध्यान रखें

पिछले कुछ साल में गर्भावस्था के दौरान कैंसर के कई मामले सामने आ रहे हैं। इस तरह की चीजों ने उन लोगों की भी परेशानी बढ़ा दी है, जो फैमिली की प्लानिंग कर रहे हैं। दरअसल कैंसर एक गंभीर बीमारी है। ये आपके और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है पर ये समझना बहुत जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान होने वाला कैंसर उतना भी खतरनाक नहीं होता, जितना उसे समझा जाता है। अगर समय रहते इसका इलाज शुरू किया जाए और सावधानी बरती जाए, तो बच्चा व मां सुरक्षित रह सकते हैं। यहां हम बता रहे हैं प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर से होने वाले नुकसान, इलाज व सावधानी के बारे में।
गर्भावस्था में कैंसर की स्थिति में इन बातों का रखें ध्यान / Cancer During Pregnancy In Hindi
- सही इलाज तय करना जरूरी – कैंसर का सही इलाज कैंसर की प्रकृति पर निर्भर करता है। इसके अलावा आपकी प्रेग्नेंसी की स्थिति से भी ये तय होता है कि आपको किस तरह के इलाज की जरूरत है। प्रेग्नेंसी के हिसाब से सही इलाज तय करने के बाद गर्भावस्था में भी कैंसर का इलाज सेफ तरीके से किया जा सकता है।
- कीमोथेरेपी है सुरक्षित - प्रेग्नेंसी के दौरान अगर मां कैंसर की शिकार हो गई है, तो इलाज के लिए कीमोथेरेपी सुरक्षित होता है। इसका गर्भ में पल रहे शिशु पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है। एक शोध में भी ये बात सामने आ चुकी है कि गर्भावस्था के दौरान कैंसर का ट्रीटमेंट कराने वाली महिलाओं के बच्चों में जन्मजात बीमारियां या कोई दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती।
- सर्जरी भी है बेहतर विकल्प - यह जानना भी जरूरी है कि अधिकतर सर्जरी किसी तरह के कैंसर को डायग्नोज करने या उसके इलाज के लिए की जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान सर्जरी कराना आपके और गर्भ में मौजूद शिशु दोनों के लिए ठीक रहता है।
- न कराएं ब्रेस्टफीड - अगर गर्भावस्था के दौरान कैंसर हुआ है और इलाज के क्रम में बच्चे का जन्म हो चुका है, तो मां को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह बच्चे को ब्रेस्टफीड न कराए।
- रेडिएशन थेरेपी के बाद आराम जरूरी – वैसे तो रेडिएशन थेरेपी से कैंसर का इलाज काफी दर्दभरा व नुकसानदायक होता है, लेकिन कुछ सावधानी बरतते हुए इसके दर्द को कम किया जा सकता है। रेडिएशन थेरेपी कराने के बाद अच्छे से आराम करना चाहिए। इसके अलावा डाइट प्लान भी बनाना चाहिए। जहां थेरेपी हुई है, वहां कोई भी ऐसी चीज न लगाएं जिससे साइड इफेक्ट हो।
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